अल्मोड़ा से पिथौरागढ़

अल्मोड़ा से पिथौरागढ़
गोलू बाबा मंदिर के दर्शन
08/6/2010 पाँचवाँ दिन
मैं भी उसके बाद सो न सकी और उठ गयी। बाथरूम में जाकर गीज़र ऑन किया और अन्य दैनिकचर्याओं से निपटने लगी। श्रीमति भी उठगयी, धीरे-धीरे सभी उठ गए| गेस्ट हाऊस के कर्मचारियों द्वारा कमरे में ही चाय दी गयी। कमरे के बाहर भी हलचल सुनाई देने लगी थी। मैं चाय का प्याला लेकर बाहर गयी तो देखा कुछ तीर्थ-यात्री तो तैयार होकर बाहर जा रहे हैं।
हमें दिल्ली में ही बता दिया गया था कि अल्मोड़ा में लगेज नहीं मिलेगा। सो सभी ने दो जोड़ी कपड़े अन्य नितांत जरुरी सामान के साथ अपने हैंडबैग (छोटा सा रकसक) में ही रख लिए थे। स्नान आदि से निवृत्त होकर तैयार हो रहे थे हम भी डाइंनिंग-हॉल की ओर चल दिए। वहाँ सभी थे। एलओ भी थे, मिलकर शिव-वंदना की। एलओ साहब ने अपने संबोधन में सभी को आज की यात्रा की रुपरेखा बतायी साथ ही साथ सबको अपने बडी बनाने और उसके साथ रहने को कहा।

जैसा कि पहले लिख चुकी हूँ दल में हम चार स्त्रियाँ अकेले यात्रा पर थीं सो हमने दो-दो का जोड़ा बना लिया। मेरे साथ कर्नाटक की वीणा मैसूर थीं नलिनाबेन और स्नेहलताजी साथ-साथ हो गयीं। हम दोनो साथ-साथ बस में बैठने के लिए गेस्ट हाऊस से बाहर आए। अभी भी बादल छाए हुए थे और दिन भी पूरी तरह निकला नहीं था। बाहर सभी फोटो खींच रहे थे हमने भी कुछ फोटो लिए और बस में बैठने चल दिए।
वही कल वाली दो मिनि बसें थीं। हम कल की परेशानी याद करके मुंह सुकोड़ते हुए अपनी वाली बस में बैठ गए। कुछ यात्री हमसे पहले ही बैठे हुए थे। एलओ की सीटी बजते ही सभी यात्री भागकर अपनी-अपनी बस में चढ़ गए। बस चल पड़ी। सभी ने शंकर भगवान का जयकारा और “ऊँ हर-हर महादेव” का घोष किया।
सभी बाहर प्राकृतिक-छटा निहारते हुए बातचीत में मगन थे। बस पहाड़ी गांव और अन्य रिहायशी इलाकों को पार करती हुयी लगभग दो घंटे बाद रुकी। सभी को उतरने का आदेश मिला। जैसे ही उतरे सामने गोलूबाला का मंदिर था।

”ऊँ इष्ट देवाय नम” ”जय गोलू देवता” लिखे द्वार से जैसे ही प्रवेश करना चाहा तो बड़ा सा घंटा बीचों-बीच टंगा था, बस उसके बाद तो घंटों की कतारों का ओर न छोर! बड़े से बड़ा घंटा और छोटे से छोटा घंटा!!! चारों ओर मंदिर में घंटे ही घंटे! कुछ तीर्थ यात्रियों ने मंदिर के बाहर दुकान से छोटी-छोटी घंटियाँ खरीदीं मंदिर में लटकाने के लिए। घंटियों के साथ-साथ पेपर पर अपनी मनोकामनाएँ भी लिखकर टैग कर रखीं थीं। गाइड ने बताया विदेशों तक से यहाँ अरदास लिखकर भेजी जाती हैं। अंदर मंदिर में पुजारीजी पूजा-अर्चना करा रहे थे। सभी ने दर्शन-पूजा की और बाहर फोटोग्राफ़ी भी।
लगभग पौना घंटा लगाकर सभी पुनः बस में बैठ गए।
थोड़ी ही देर बाद पुनः बस एक गांव में रुकी पर अबकी बार पेट-पूजा के लिए:-) यहाँ कुमाऊं-मंडल की ओर से चाय-नाश्ते का प्रबंध था। गर्मा-गर्म पूरी-छोले का नाश्ता और चाय, सभी को आनंद आया। बस चलने से पहले सभी ने कुछ चित्र लिए और एलओ की सीटी बजते ही फिर बस में चढ़ गए।
अब बस पिथौरागढ की ओर बढ़ रही थी। दोपहर का भोजन वहीं के गेस्टहाऊस में मिलना था। बस नदी-किनारे चली जा रही थी पीछे हरे पहाड़ों और कभी-कभी आने वाले रिहाइशी इलाकों को छोड़ती हुयी। सब यात्रा का आनंद लेने में मग्न थे।
पिथौरागढ़ का कुमाऊँ-मंडल का गेस्ट-हाऊस आया और बस रुकी| सभी यात्रियों ने लंच किया और जल्दी ही चल पड़े।
अभी बस चली ही थी कि कुछ दूरी पर ही सड़क के बीचोंबीच कुछ बच्चे एक बैनर और बोर्ड लिए खड़े थे। उन्होंने हाथ देकर बस रुकवायी और सादर सभी को नीचे उतारकर ले गए। वहाँ जाकर पता चला कि वे मल्लिकार्जुन स्कूल पिथौरागढ़” के विद्यार्थी थे जो अपने शिक्षकों के साथ बिना किसी शेड के इतनी तेज धूप में खड़े कैलाश-मानसरोवर जाने वाले तीर्थ-यात्रियों से पहाड़ों की गरिमा बनाए रखने और पहाड़ों को नुकसान न पहुँचाने के लिए एक शपथपत्र पर हस्ताक्षर ले रहे थे।

उन बच्चों को कुछ ने टॉफ़ी और चाकलेट भी दिए तथा एलओ सहित सभी ने सच्चे मन से हस्ताक्षर किए। एलओ जल्दी मचा रहे थे क्योंकि अभी हमें आई०टी०बी०पी० के बेस कैंप मिरथी में भी रुकना था। आज का आखिरी पड़ाव धारचूला था जो यहाँ से काफ़ी दूर था पर मैं पुनः दौड़कर उन बच्चों के पास गयी और अपना एक शिक्षिका के रुप में भी परिचय देकर हाथ मिलाया, उनके उत्साह और कर्तव्य-निष्ठा को सराहा और प्रोत्साहित किया। वे और उनके शिक्षक भी एक शिक्षिका से मिलकर अत्यधिक प्रसन्न हुए। मैं अकेली बाहर थी, एलओ सीटी बजा चुके थे। दूसरी बस चल पड़ी थी। तभी हमारे गाइड ने मुझे भी बस में बैठने के लिए कहा। मैं भागकर बस में चढ गयी। बस में सभी यात्री मेरा मज़ाक बनाने लगे- ”टीचर्स कभी स्टूडेंट को छोड़ती नहीं हैं।”
अगले अंक में मिरथी में स्वागत की झलकियाँ प्रस्तुत होंगी।
क्रमशः

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2 Responses to “अल्मोड़ा से पिथौरागढ़”

  1. mahesh singh Says:

    kripya karke videsh mantralaya ka portal dene ki kripa kare jaha se apply kiya jata hai

  2. premlatapandey Says:

    MEA par jakar dekhe

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